सेबी क्या है और यह भारतीय शेयर बाज़ार को कैसे प्रभावित करती है?

सेबी (भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड)

भारत में शेयर बाजार के लिए अधिकृत नियामक प्राधिकरण है और बाजार के कार्यों को नियंत्रित करता है। सेबी की स्थापना 12 अप्रैल 1992 को सेबी अधिनियम 1992 द्वारा की गई थी।
सेबी यह सुनिश्चित करता है कि भारतीय स्टॉक मार्केट प्रभावी और पारदर्शी तरीके से संचालित हों। इसके अतिरिक्त, यह सभी निवेशकों के हितों की रक्षा करता है ताकि किसी को अनुचित लाभ न मिले।

निवेशकों के हितों की रक्षा के लिए, सेबी नियमों और अधिनियमों की स्थापना करता है जिसका पालन एक्सचेंजों, व्यवसायों, ब्रोकरेज और अन्य प्रतिभागियों को करना पड़ता है ।

सेबी सुनिश्चित करता है:

  • अपने दिशानिर्देशों, नियमों और विनियमों के माध्यम से शेयर बाजार में गतिविधियों को नियंत्रित करता है।
  • भारतीय शेयर बाजार में निवेशकों के हितों की रक्षा करता है ।
  • आईपीओ (Initial Public Offering ) के साथ साथ , जनता को शेयर जारी करने वाली कंपनियों के लिए दिशानिर्देश निर्धारित करता है ।
  • भारतीय वित्तीय बाजार के विकास को बढ़ावा देना।
  • स्टॉक मार्केट के व्यवसाय संचालन को विनियमित करता है ।
  • यह विभिन्न स्टॉक मार्केट मध्यस्थों(intermediaries) को उनके कामकाज के लिए दिशानिर्देश और मानक निर्धारित करके , उनको नियंत्रित करता है।
  • स्टॉक मार्केट सहभागियों, जमाकर्ताओं, सीआरए (क्रेडिट-रेटिंग एजेंसियों) और अन्य प्रतिभागियों को सौंपे गए कार्यों को विनियमित करता है ।
  • निवेशक जागरूकता कार्यक्रमों के माध्यम से, निवेशकों को स्टॉक मार्केटस  के बारे में शिक्षित करता है।
  • स्टॉक मार्केट और उससे संबंधित धोखाधड़ी और अनुचित व्यापार प्रथाओं पर रोक लगाता है ।
  • कंपनी के अधिग्रहणों की निगरानी करता है ।
  • उचित अनुसंधान और विकासात्मक तरीकों के माध्यम से, बाजार की दक्षता को बरकरार और सुनिश्चित बनाए रखता है ।

संक्षेप में, शेयर बाजार के संदर्भ में सेबी की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण है। यह सुनिश्चित करता है कि हमारा भारतीय शेयर बाजार ईमानदारी, पारदर्शिता के साथ काम करता है और सेबी द्वारा बनाए गए सभी नियमों और दिशानिर्देशों का पालन करता है।

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